तीसरे प्रवक्ता न भी वही बात क्यों कही...

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किसी राजनीतिक दल की सचाई को उस दल के लोग ही भलिभांति जानते हैं और वह जब अपने दल के बारे में कहते हैं तो उसे सच मानने के अलावा कोई चारा नहींं बचता है।कांग्रेस के बारे में भाजपा कुछ कहती है तो उस पर भले ही यकीन न किया जाए लेकिन जब कांग्रस के लोग ही वही बात कहते है तो न मानने की कोई वजह  नहीं होती है, वह भी जब एक बाद के एक तीन प्रवक्ता वही बात कहते हैं तो सवाल उठना स्वाभाविक है कि तीनों ने वही बात क्यों कहीं, क्या इसलिए कही की यही सच है। 

जब से देश में राममंदिर के आदोलन शुरू हुआ तो भाजपा जहां राम और राममंदिर का बात करती रही है, वह राम को इस देश की आस्था और राम मंदिर को अपना परम लक्ष्य बताती रही है। कांग्रेस ने राम का भी विरोध किया और राम मंदिर का भी विरोध किया। राम कृष्ण के देश में जो भी राममंदिर का विरोध करेगा वह राम विरोधी सहज ही माना जाएगा। राम विरोधी मतलब सनातन विरोधी,सनातन विरोधी मतलब बहसंख्यक विरोधी वह सहज ही माना जाएगा।

कांग्रेस के पास मौका था अपनी रामविरोधी छवि को सुधारने का जब उसके नेताओं को राम लला के विग्रह के प्राणप्रतिष्ठा समारोह में ससम्मान बुलाया गया। कांग्रेस के बहुसंख्यक लोग हिंदू है, इसलिए वह चाहते थे कि कांग्रेस नेता समारोह में जाकर राम के प्रति आस्था प्रकट करे। कांग्रेस में वामपंथी नेताओं की चलने के कारण कांग्रेस ने समारोह में नहीं जाने का फैसला किया ताकि अल्पसंख्य वोट बैंक उससे नाराज न हो जाए। कांग्रेस ने अल्पसंख्यक वोट के लिए बहुसंख्यक समाज को नाराज करने का फैसला किया। इसे पार्टी के भीतर हिंदू नेताओं ने पसंद नहीं किया। कई नेताओं ने कांग्रेस के राम व राममंदिर विरोध के कारण कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। तब कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने माना था कि कांग्रेस ने जो फैसला किया है उससे पार्टी को चुनाव में लाभ होगा। कांग्रेस का खोया हुआ वोट बैंक उसके पास आ जाएगा।

कांग्रेस का वोटबैंक वापस आया या नहीं इसका पता तो चार जून को चलेगा।इसका पता तो कांग्रेस को चल गया है कि उसके अयोध्या न नहीं जाने का नुकसान हुआ है, कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर चले गए है। कांग्रेस के तीन प्रवक्ता यानी कांग्रेस की रीति-नीति को बखूबी जाने वाले लोगों ने भी पार्टी से इसी वजह से इस्तीफी दे दिया है कि पार्टी ने राम लला के विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में न जाकर गलती की। पार्टी के इस फैसले से उनको बहुत बुरा लगा। वह चाहते थे कि पार्टी राम मंदिर व राम का विरोध न करे लेकिन पार्टी के कुछ लोगों के कारण ऐसा किया जाता रहा और अंत में एक के एक तीन कांग्रस प्रवक्ताओं ने पार्टी छोड़ दी है।

रोहन गुप्ता,गौरव वल्लभ, राधिका खेड़ा अब भाजपा में शाामिल हो गए है। खुलकर कांग्रेस की रीति नीति के खिलाफ बोल रहे हैं तो लोग तो मानेंगे ही सच कह रहे हैं।पीएम मोदी जब कहते थे कि अल्पसख्यक तुष्टिकरण के लिए कांग्रेस ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्टा का बहिष्कार किया था,तब लोग भले न माने लेकिन कांग्रेस के तीन तीन प्रवक्ता जब कह रहे है तो देश तो मानेगा ही।पीएम मोदी जब कहें कि शहजाते राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की मंशा रखते थे,यह खतरनाक मंशा थी लोग भले यकीन न करें लेकिन जब यही बात कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम कहते है तो कौन यकीन नही करेगा। 

आजादी के बाद से कांग्रेस ने सत्ता रहते हुए अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के लिए क्या कुछ नहीं किया है, सुप्रीम कोर्ट का फैसला तक बदला है तो वह सत्ता मेें आने पर फिर ऐसा कर सकती है। इसे तो माना ही जाएगा।अपने घोषणापत्र में उसने बहुत कुछ ऐसा करने को कहा भी है। पीएम मोदी व भाजपा इसका खुलासा कर रहे हैं तो यह इस देश की बेहतरी के लिए किया गया प्रयास ही माना जाएाग।